MA Semester-1 Sociology paper-III - Social Stratification and Mobility - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2683
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - सामाजिक स्तरीकरण एवं गतिशीलता

प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

सामाजिक गतिशीलता के घटक
(Components of Social Mobility)

सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख निर्धारक निम्न प्रकार हैं -

(1) जनसांख्यिकी घटक (Demographic Components) – जनसांख्यिकीय घटक सभी समाजों में गतिशीलता को प्रभावित करता है। प्रायः ऊँचे वर्गों में जन्म-दर निम्न वर्गों की जन्म - दर की अपेक्षा कम होती है। यद्यपि मृत्यु-दर भी निम्न वर्गों में अधिक होती है। तथापि कुल मिलाकर प्रजनन दर अधिक होती है। इस सम्बन्ध में अनेक अध्ययन किए गए हैं।

पेरे ने अपने अध्ययन में पाया है कि फ्रांस के कुछ क्षेत्रों में 12000 संख्या 215 कुलीन वंशों में से एक शताब्दी बाद केवल 149 की संख्या रह गई। सामान्यता इन वंशावलियों का जीवनकाल तीन से चार पीढ़ियों तक ही रहा। तत्पश्चात् वे या तो उत्पन्न गैर-कुलीन वंशों द्वारा अथवा समानांतर वंशों द्वारा स्थानापन्न कर दिए गए। सोवियत संघ के स्तरीकरण के सम्बन्ध में एलेक्स इंकलेस ने यह पाया कि इस शताब्दी के मध्य में भारी गतिशीलता हुई। इसके दो कारण थे-

(i) इस समय युद्ध में बहुत से लोग अपनी जान गवाँ चुके थे। यह समय कीं आवश्यकता थी।
(ii) दूसरा कारण तीव्र औद्योगीकरण रहा।

इसी प्रकार ग्रामीणों में प्रजनन दर ऊँची रहा करती है। तथापि शहरी जनसंख्या ग्रामीण जनसंख्या की तुलना में अधिक तीव्रता से बढ़ी है इसका कारण बड़ी संख्या में शहरी प्रव्रजन का होना है। जनसांख्यिकी घटक अपने आप में विशुद्ध रूप जैविक परिघटना नही है क्योंकि इसमें सामान्यतः सामाजिक घटक भी हैं। मैंडेलबाम तथा अन्य विद्वानों ने लिखा है कि सांस्कृतिक घटक जैसे एक पुत्र की आकांक्षा जनसंख्या संरचना पर प्रभाव डालते हैं।

(2) प्रतिभा तथा योग्यता (Talent and Ability) - सोरोकिन के अनुसार प्रायः अभिभावकों और बच्चों की योग्यता समान नहीं होती है। आरोपित अथवा वंशगत समाजों में बच्चे सामान्यतः अपने माता-पिता की तरह अपनी वंशानुगत स्थिति के लिए सदैव उपयुक्त नहीं होते। कभी-कभी कुछ बच्चे अपने अभिभावकों से प्राप्त सम्पत्ति या पद को सम्भाल नहीं पाते उन पर अत्यधिक दबाव पड़ता है कि वे इस स्थिति को छोड़ दें। इसलिए पहले से ही अधिकार प्राप्त नव- आगंतुक रिक्त स्थिति को अपनाते हैं। लिपसेट तथा बैन्डिक्स के अनुसार नए प्रतिभाशाली लोग आते रहते हैं या जन्मते रहते हैं और कहीं न कहीं उनका समावेश हो जाता है। पैतृक पद और स्थिति प्राप्त पैतृक समाजों में भी व्यक्तिगत रूप से प्रतिभाशाली व्यक्तियों के ऊर्ध्व स्तर की गतिशीलता के अवसर मिलते रहते हैं। बेरगल का मत है कि रूढ़िवादी पदानुक्रम सामंती व्यवस्था में भी निम्न जाति में जन्मे व्यक्ति को भी प्रतिभा के बल पर ऊँचे स्तर की गतिशीलता का अवसर प्राप्त होता था। सामंतवाद में जो बंधुआ मजदूरों या बंधुआ नौकरों को उनकी स्वामिभक्ति के कारण लिपिकीय वर्ग में शामिल किया गया था। इसी प्रकार घर में सेवा करने वाले चाकरों को भी सेवा के पुरस्कार के रूप में जागीरें तक भी दी जाती थी। टर्नर ने अपने अध्ययन में इस प्रकार की गतिशीलता को 'प्रायोजित गतिशीलता' कहा है तथापि नवीन प्रतिभा का समावेश सरल नहीं होता। समाजों में यहाँ तक खुले समाजों में भी नई प्रतिभा के समावेश को समस्यामूलक की दृष्टि से देखा जाता है, इसे आसानी से स्वीकृत नहीं किया जाता है। व्यक्तियों की योग्यता के सन्दर्भ में विद्वानों ने यह पाया कि तथाकथित खुले समाज कहीं न कहीं रूढ़िवादी होते हैं, जो व्यक्तियों को उनकी योग्यता के आधार पर सामाजिक स्थिति प्रदान करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी अवसरों की समानता जैसी स्थिति का पुनर्जन्म होता रहता है। अवसरों की असमानता का अर्थ है— निम्न वर्ग का अधिक योग्य व्यक्ति भी उन्नति करने के अवसर प्राप्त नहीं कर पाता। माइकल यंग ने इस मिथक का खण्डन कर दिया है कि प्रतिभा व योग्यता का जन्म मूल समाजों में होता है। वर्ग की उत्पत्ति सबसे ऊँची स्थितियों व सबसे निम्न स्थितियों में आज भी बनी हुई है तथा स्वयं ही स्थापित हो जाती हैं। अतएवं गतिशीलता को स्पष्ट करने के लिए प्रतिभा जैसे घटक की भूमिका साधारण ही होती है।

(3) कुलीन सिद्धान्त (Elite Theory) - पैरेटो के अनुसार, 'इतिहास कुलीन वंशों का कब्रिस्तान है। यह कुलीनों की गतिशीलता का प्रतीक है। पैरेटो के सिद्धान्त में गतिशीलता अथवा संचरण दो प्रकार के हैं-

 

(i) प्रथम, प्रतिभाशाली व्यक्ति जो निम्न स्तर से आता है और उच्च स्तर में प्रवेश करता है
(ii) दूसरे, बहुत बार समय में जब ऊँचे समूहों की योग्यता पर प्रश्न चिह्न लगाया जाता है अर्थात् प्राय: निम्न स्तर की ओर से उच्च वर्गों को चुनौती दी जाती है और उनकी श्रेष्ठता को नकार दिया जाता है।

मैक्स क्लुकमैन ने इसे 'बार-बार परिवर्तन' का नाम दिया है, जिसे अफ्रीका सरकार के परिवर्तनों में देखा जा सकता है। मॉरिस डुवेरजर ने इसे 'सामाजिक व्यवस्था' में और 'सामाजिक व्यवस्था से परे' संघर्ष के रूप में स्वीकार किया है।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण क्या है? सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की क्या आवश्यकता है? सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों को स्पष्ट कीजिये।
  3. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  4. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण किसे कहते हैं? सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर बताइये।
  5. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित आधारभूत अवधारणाओं का विवेचन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सम्बन्ध में पदानुक्रम / सोपान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- असमानता से क्या आशय है? मनुष्यों में असमानता क्यों पाई जाती है? इसके क्या कारण हैं?
  8. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  9. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के अकार्य/दोषों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  10. प्रश्न- वैश्विक स्तरीकरण से क्या आशय है?
  11. प्रश्न- सामाजिक विभेदीकरण की विशेषताओं को लिखिये।
  12. प्रश्न- जाति सोपान से क्या आशय है?
  13. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता क्या है? उपयुक्त उदाहरण देते हुए सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- सामाजिक वातावरण में परिवर्तन किन कारणों से आता है?
  16. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की खुली एवं बन्द व्यवस्था में गतिशीलता का वर्णन कीजिए तथा दोनों में अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का विवेचन कीजिए तथा भारतीय समाज में गतिशीलता के निर्धारक भी बताइए।
  18. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता का अर्थ लिखिये।
  19. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के पक्षों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  21. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  22. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण पर मेक्स वेबर के दृष्टिकोण का विवेचन कीजिये।
  23. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विभिन्न अवधारणाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  24. प्रश्न- डेविस व मूर के सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  25. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  26. प्रश्न- डेविस-मूर के संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  27. प्रश्न- स्तरीकरण की प्राकार्यात्मक आवश्यकता का विवेचन कीजिये।
  28. प्रश्न- डेविस-मूर के रचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।
  29. प्रश्न- जाति की परिभाषा दीजिये तथा उसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  30. प्रश्न- भारत में जाति-व्यवस्था की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  31. प्रश्न- जाति प्रथा के गुणों व दोषों का विवेचन कीजिये।
  32. प्रश्न- जाति-व्यवस्था के स्थायित्व के लिये उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिये।
  33. प्रश्न- जाति व्यवस्था को दुर्बल करने वाली परिस्थितियाँ कौन-सी हैं?
  34. प्रश्न- भारतवर्ष में जाति प्रथा में वर्तमान परिवर्तनों का विवेचन कीजिये।
  35. प्रश्न- जाति व्यवस्था में गतिशीलता सम्बन्धी विचारों का विवेचन कीजिये।
  36. प्रश्न- वर्ग किसे कहते हैं? वर्ग की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था के रूप में वर्ग की आवधारणा का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अंग्रेजी उपनिवेशवाद और स्थानीय निवेश के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में उत्पन्न होने वाले वर्गों का परिचय दीजिये।
  39. प्रश्न- जाति, वर्ग स्तरीकरण की व्याख्या कीजिये।
  40. प्रश्न- 'शहरीं वर्ग और सामाजिक गतिशीलता पर टिप्पणी लिखिये।
  41. प्रश्न- खेतिहर वर्ग की सामाजिक गतिशीलता पर प्रकाश डालिये।
  42. प्रश्न- धर्म क्या है? धर्म की विशेषतायें बताइये।
  43. प्रश्न- धर्म (धार्मिक संस्थाओं) के कार्यों एवं महत्व की विवेचना कीजिये।
  44. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिये।
  45. प्रश्न- समाज एवं धर्म में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में धर्म की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
  47. प्रश्न- जाति और जनजाति में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  48. प्रश्न- जाति और वर्ग में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- स्तरीकरण की व्यवस्था के रूप में जाति व्यवस्था को रेखांकित कीजिये।
  50. प्रश्न- आंद्रे बेत्तेई ने भारतीय समाज के जाति मॉडल की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
  51. प्रश्न- बंद संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- खुली संस्तरण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- धर्म की आधुनिक किन्हीं तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये।
  54. प्रश्न- "धर्म सामाजिक संगठन का आधार है।" इस कथन का संक्षेप में उत्तर दीजिये।
  55. प्रश्न- क्या धर्म सामाजिक एकता में सहायक है? अपना तर्क दीजिये।
  56. प्रश्न- 'धर्म सामाजिक नियन्त्रण का प्रभावशाली साधन है। इस सन्दर्भ में अपना उत्तर दीजिये।
  57. प्रश्न- वर्तमान में धार्मिक जीवन (धर्म) में होने वाले परिवर्तन लिखिये।
  58. प्रश्न- जेण्डर शब्द की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- जेण्डर संवेदनशीलता से क्या आशय हैं?
  60. प्रश्न- जेण्डर संवेदशीलता का समाज में क्या भूमिका है?
  61. प्रश्न- जेण्डर समाजीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजीकरण और जेण्डर स्तरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- समाज में लैंगिक भेदभाव के कारण बताइये।
  64. प्रश्न- लैंगिक असमता का अर्थ एवं प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- परिवार में लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- परिवार में जेण्डर के समाजीकरण का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  67. प्रश्न- लैंगिक समानता के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  68. प्रश्न- पितृसत्ता और महिलाओं के दमन की स्थिति का विवेचन कीजिये।
  69. प्रश्न- लैंगिक श्रम विभाजन के हाशियाकरण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- पितृसत्तात्मक के आनुभविकता और व्यावहारिक पक्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  72. प्रश्न- जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता से क्या आशय है?
  73. प्रश्न- पुरुष प्रधानता की हानिकारकं स्थिति का वर्णन कीजिये।
  74. प्रश्न- आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
  75. प्रश्न- महिलाओं की कार्यात्मक महत्ता का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।
  77. प्रश्न- आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता की स्थिति स्पष्ट कीजिये।
  78. प्रश्न- अनुसूचित जाति से क्या आशय है? उनमें सामाजिक गतिशीलता तथा सामाजिक न्याय का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- जनजाति का अर्थ एवं परिभाषाएँ लिखिए तथा जनजाति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारतीय जनजातियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- सीमान्तकारी महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासो का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- अल्पसंख्यक कौन हैं? अल्पसंख्यकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए एवं उनका समाधान बताइये।
  85. प्रश्न- भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति एवं समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- सीमान्तिकरण अथवा हाशियाकरण से क्या आशय है?
  88. प्रश्न- सीमान्तकारी समूह की विशेषताएँ लिखिये।
  89. प्रश्न- आदिवासियों के हाशियाकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- जनजाति से क्या तात्पर्य है?
  91. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या कीजिये।
  92. प्रश्न- अस्पृश्य जातियों की प्रमुख निर्योग्यताएँ बताइये।
  93. प्रश्न- अस्पृश्यता निवारण व अनुसूचित जातियों के भेद को मिटाने के लिये क्या प्रयास किये गये हैं?
  94. प्रश्न- मुस्लिम अल्पसंख्यक की समस्यायें लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book